Jowar,Dhan Ke bhav:ज्वार धान की कीमत 5 हजार प्रति सैकड़ा है

पशुओं के लिए गीले चारे के रूप में इस्तेमाल होने वाली गन्ना मिलें अब सीजन खत्म होते ही बंद हो गई हैं। मक्का, हाथी घास, नेपियर घास, जो वाडा के विकल्प हैं, भी कम प्रभावित हैं। इससे इस चारे के दाम बढ़ गए हैं। उसमें खाद के रूप में इस्तेमाल होने वाले ज्वार धान की कीमत प्रति सैकड़ा 3500 से 5000 रुपए तक पहुंच गई है।

पिछले कुछ वर्षों में दूध उत्पादन में भारी कारोबार हुआ है। विभिन्न डेयरी उद्योगों के माध्यम से डेयरी उद्योग का विकास शुरू हो गया है। इसलिए किसान इस व्यवसाय की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि दूध उत्पादन में बहुत बड़ा अवसर है। पुणे संभाग सहित प्रदेश में गाय, भैंस, बकरी, मवेशी, बैलों की संख्या करीब तीन से साढ़े तीन करोड़ है।

🔹व्यापारियों से अधिक कड़बा खरीदना: पुरंदर, बारामती, दौंड, इंदापुर, शिरूर, खेड़ तालुकों में ज्वार कड़बा की अच्छी कीमत मिली है। पशुपालक इसी क्षेत्र से कड़ाबा खरीदते हैं। पिछले एक पखवाड़े में खराब मौसम के डर से बहरानगांव के व्यापारियों ने बड़ा कड़बा खरीदा। इससे स्थानीय पशुपालकों को कड़ाबा कम मात्रा में उपलब्ध हो पाता है। देर से हुई बारिश के कारण जल्दी वापसी नहीं हुई। इसलिए रबी सीजन में ज्वार की बुआई हर साल की तुलना में कुछ कम होती है, जिससे चारे का उत्पादन कम होता जा रहा है।

💬इस साल क्षेत्र में उत्पादन कम होने से ज्वार के दाम बढ़ेंगे। साथ ही कड़ाबा की कमी के चलते इसके दाम भी बढ़ेंगे। इससे दुग्ध उत्पादक किसान फिर संकट में आ जाएंगे।

💬दूध के दाम बढ़ने पर उपभोक्ता शिकायत करते हैं। लेकिन अच्छे पोषण मूल्य वाले पशुओं के चारे की कीमतें भी दूध की कीमतों में बढ़ोतरी से ज्यादा बढ़ी हैं। गीला और सूखा चारा भी महंगा है। इसलिए प्रति लीटर दूध की उत्पादन लागत बढ़ गई है। – विजय वाबले, डेयरीमैन, केसानंद हवेली