अब गन्ना कटाई के लिये नही पडेगी मजदूर की जरुरत, सरकार करेगी गन्ना कटाई मशीन का वितरण ?

अब गन्ना कटाई के लिये नही पडेगी मजदूर की जरुरत, सरकार करेगी गन्ना कटाई मशीन का वितरण ?

Sugercane Harvesting Subsidy : 950 गन्ना कटाई मशीनो का वितरण !

Pune Sugercane Harvesting Update : मजदूरों की कमी के कारण, गन्ने की कटाई का तेजी से मशीनीकरण करना होगा. हालांकि, प्रौद्योगिकीविदों को कोयोट और हारवेस्टर के बीच छोटे हार्वेस्टर विकसित करने की चुनौती का सामना करना पड़ता है.

चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड ने कहा कि वर्तमान में एक करोड़ रुपये के वर्तमान हारवेस्टर को खरीदने के लिए राज्य में 950 मशीनों का वितरण किया जाएगा और अब तक 800 आवेदन दाखिल किए जा चुके हैं.

डेक्कन शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन (डीएसटीए) ने पुणे कृषि महाविद्यालय के शिरनाम ऑडिटोरियम में ‘यांत्रिक गन्ना कटाई में समस्याएं और समाधान’ पर एक सम्मेलन का उद्घाटन किया.

डीएसटीए के अध्यक्ष शाहजीराव भद और तकनीकी उपाध्यक्ष एस. डी बोखरा, विस्मा के अध्यक्ष बी. बी संजय खताल, प्रबंध निदेशक, महाराष्ट्र स्टेट शुगर एसोसिएशन, थोम्बरे, डॉ. एसोसिएट प्रिंसिपल, कृषि महाविद्यालय डॉ. सुनील मसालकर, महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. योगेंद्र नेरकर, कृषि रत्न डॉ. संजीव माने, पूर्व गन्ना विशेषज्ञ व वरिष्ठ वैज्ञानिक मंच पर सुरेश पवार थे.

चीनी आयुक्त ने बताया कि गन्ना काटने के लिए 300 रुपये की कोयोट और अब एक करोड़ रुपये की मशीन का उपयोग किया जा रहा है. एक आश्चर्य है कि हम गन्ना काटने के लिए लागत प्रभावी और सस्ती तकनीक क्यों नहीं ला पाए हैं जबकि यह वर्षों से चल रहा है.

राज्य के बढ़ते गन्ना रकबे को देखते हुए चीनी आयुक्तालय ने कृषि विश्वविद्यालयों को बैटरी चालित कोयटा विकसित करने के लिए पत्र लिखा है. अगर बैटरी से चलने वाली कोय्यात पर शोध हो जाए तो महिलाओं को कटाई के काम में काफी सहूलियत होगी.

चीनी उद्योग के मशीनीकरण में राज्य देश में अग्रणी है. हालांकि, कारखानों को अब गन्ने की खेती से लेकर छानने और प्रसंस्करण तक की अपनी तकनीक में बदलाव करना होगा. सीजन अब 112 दिन से ज्यादा नहीं चलेगा क्योंकि राज्य की ज्यादातर फैक्ट्रियों ने अपनी पेराई क्षमता बढ़ा दी है.

इसलिए यह कारखाना साल भर कैसे चलेगा, इसके लिए सर्वोत्तम प्रबंधन तकनीकों पर कार्यशालाएं भी आयोजित करनी होंगी, ” श्री मोहन ने कहा गायकवाड़ ने सुझाव दिया.

विस्मा के अध्यक्ष श्री. थोम्ब्रे ने कहा, “मांजरा चीनी मिलों ने इस साल 70 प्रतिशत गन्ने को छान लिया है. ज्यादातर फैक्ट्रियों में मैकेनिकल कटिंग की दर 25 फीसदी तक हो गई है.

हालांकि मैकेनिकल कटिंग के मामले में 150 रुपये प्रति टन अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है. इसलिए टेक्नीशियनों के सामने मैकेनिकल कटिंग की समस्या को दूर करने की चुनौती है.