Cotton Rate : कपास उत्पादक मूल्य वृद्धि कि प्रतीक्षा मे !

Cotton Rate : कपास उत्पादक मूल्य वृद्धि कि प्रतीक्षा मे !

क्या होगी कपास के मूल्य मे वृद्धि, या ओर घटेंगे दाम ??

पिछले साल रिकॉर्ड तोड बारह से तेरह हजार रुपये प्रति क्विंटल मिले कॉटन रेट कि वजह से इस साल तालुक में कपास की बडे पैमाने मे खेती हुई है.

कपास की फसल भी अच्छी हुई थी. उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण अधिकांश किसानों ने कपास को घर में ही जमा कर रखा है. कपास बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं होने के कारण इस पर निर्भर मजदूर भूख से मर रहे हैं.

पिछले साल कपास की कीमत अधिक होने के कारण किसानों ने तालुका में करीब 22 हजार हेक्टेर में कपास की बुआई की थी.

सीजन की शुरुआत में भारी बारिश के कारण कपास फल-फूल रही थी. लेकिन जुलाई-अगस्त दोनों ही महीनों में बारिश से फसल खराब हो गई.

लेकिन वापसी की बारिश ने बैंकों को सड़ा दिया. पत्ते पीले होकर क्षतिग्रस्त हो गए थे. किसानों ने आ चुकी कपास की कटाई कर ली है और फिलहाल फसल का भंडारण कर रहे हैं.

जनवरी के अंत के बाद भी किसान बिक्री के मूड में नहीं हैं. क्योंकि अपेक्षित मूल्य वृद्धि नहीं हो रही है. जिनिंग और प्रेसिंग उद्योगों में हड़ताल कर रहे मजदूरों के लिए यह भूखमरी का समय है.

पिछले साल इसी महीने में कपास की बिक्री हुई थी. कपास को घर पर इस उम्मीद में रखा जाता है. कि अधिक दाम मिलने से बेहतर कीमत मिलेगी. हालांकि कीमत में बढ़ोतरी नहीं होने से अभी भी मायूसी है.

कपास के दाम नहीं बढ़ने से अधिकांश किसानों ने कपास को घर में ही रख लिया है. कपास की आवक कम होने के कारण क्रय केंद्र पर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. नतीजतन, कोई काम नहीं है.