Dairy Business : गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में आदिवासी महिलाओं की क्रांति !

Dairy Business : गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में आदिवासी महिलाओं की क्रांति !

2 करोड़ 52 लाख प्रति वर्ष कमा राहि है आदिवासी महिलाये !

गुजरात सीमा क्षेत्र (Gujarat Border Area) के गोंड्यून (अब सुरगना) की महिलाओं ने धवलक्रांति (Dhavalkranti) की है. प्रतिदिन ढाई हजार लीटर दूध एकत्र (Milk Collection) होता है.

दस रुपए प्रति माह की बचत से शुरू हुआ डेयरी व्यवसाय (Dairy Business) अब 2 करोड़ 52 लाख प्रति वर्ष तक पहुंच गया है. दिलचस्प बात यह है कि किसी भी तरह की शिक्षा न पाने वाली रणरागिनीया करोड़ों का कारोबार संभाल रही हैं.

इस कीमिया को सिस्टर जीवली साधुराम भोये ने बनाया था. उसने तेरह महिलाओं को इकट्ठा किया और दस रुपये प्रति माह बचाने लगा.

महालक्ष्मी बचत समूह की स्थापना की. पंजाब नेशनल बैंक ऑफ उमरथान ने स्वयं सहायता समूह को ढाई लाख का ऋण प्रदान किया. इससे 13 दुधारू भैंसें खरीदी गईं.

कार्य अनुशासन, अच्छे वित्तीय लेन-देन, हर महीने की पांच तारीख को बैठक, ईमानदारी, आत्म अनुशासन जैसे गुणों के कारण ढाई लाख का बैंक कर्ज सब्सिडी के कारण आधा हो गया. बाकी का कर्ज उसने नौ महीने में दुग्ध व्यवसाय के जरिए चुका दिया.

2008 में बिरसा मुंडा महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति ने पंजीकरण कराया और कई कठिनाइयों का सामना करने के बाद एक डेयरी शुरू की. इसमें 13 आदिवासी महिलाएं भाग ले रही हैं, सभी महिलाएं निरक्षर हैं.

जिवाली भोए, सविता गावित, पारू गावित, मोहना गंगोडा, सुकरा पवार, सविता गावित, सुशीला पवार, सीता गावित, जामू भोए, नीरू पवार, गजान भोए डेयरी व्यवसाय का प्रबंधन करते हैं उन्होंने 10 वीं कक्षा के स्नातक मनोहर भोये को सचिव नियुक्त किया.

यह युवक आर्थिक लेन-देन देखता है. एकत्रित दूध को डांग जिले के वघई स्थित शीत केंद्र में भेजा जाता है. डेयरी दुग्ध संग्रह केंद्र भवन का स्वामित्व संगठन के पास है. डेयरी में सीमावर्ती क्षेत्र के गोंडाने, हड़कईचौंड, पंगारने, केलीपाड़ा, गांवों व बस्तियों से दूध एकत्र किया जाता है.

सीमावर्ती क्षेत्रों के सात गांवों में पलायन शून्य पर पहुंच गया. काम में हाथ बटाकर शैक्षिक प्रगति हासिल की जा सकती है. शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि हुई. जीवन स्तर में सुधार हुआ है.
और कपड़े, घरेलू सामग्री, दोपहिया, चौपहिया वाहन, कृषि के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग, घर में टेलीविजन सेट में सुधार हुआ है.

उसने बैंक ऋण के लिए वयस्क साक्षरता कक्षाओं में रात्रि पाठ करके हस्ताक्षर करना सीखा. अभी तक उनके स्वयं सहायता समूह का सरकार के पास पंजीयन नहीं हुआ है. उनका कहना है की अगर महाराष्ट्र सरकार उन्हे डेयरी के लिए सब्सिडी और रियायतें देती है, तो वे इस व्यवसाय को जोर-शोर से शुरू कर सकते हैं.