Mechanization Subsidy : 15,000 किसानों को मिलेंगे अतिदेय सब्सिडी के 87 करोड़ ?

Mechanization Subsidy  : किसानों के लिये बडी खबर !

मशीनीकरण के लिए अतिदेय सब्सिडी जल्द ही उपलब्ध
होगी !

पुणे : राज्य में मशीनीकरण (Mechanization) की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उपकरण और मशीनें खरीदने वाले हजारों किसानों की अतिदेय सब्सिडी (Subsidy) इस महीने के अंत तक बैंक खाते में जमा होने की संभावना है.

कम से कम 15,000 किसानों को अतिदेय सब्सिडी में लगभग 87 करोड़ रुपये नहीं मिले हैं. कृषि विभाग ने इस संबंध में सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं. हालांकि राज्य में ग्राम पंचायत चुनाव की आचार संहिता के चलते अनुदान देने में देरी हो रही है. दो साल पहले आवेदन करने वाले किसान भी सब्सिडी का इंतजार कर रहे हैं.

हालांकि, जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा. इसमें केंद्र प्रायोजित कृषि मशीनीकरण मिशन से लगभग 45 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से 42 करोड़ रुपये शामिल हैं.

राजकोष से बकाया अनुदान राशि शीघ्र ही विभिन्न बैंकों में अंतरित की जायेगी. बैंक अगले दिन किसानों के बैंक खाते में सब्सिडी ट्रांसफर करेगा. दिलचस्प बात यह है कि, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की अन्य योजनाओं की अव्ययित राशि भी अब मशीनीकरण के लिए उपलब्ध होगी. इससे सब्सिडी का इंतजार कर रहे किसानों की परेशानी दूर होगी.

मशीनीकरण के लिए राज्य और केंद्र सरकार के फंड से किसानों को इस साल रिकॉर्ड सब्सिडी का वितरण किया जाएगा. अब तक किसानों के खातों में 320 करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं.

अभी तक हजारों किसानों के प्रस्ताव स्वीकृत हो चुके हैं और यदि किसान वास्तव में समय से मशीनरी और औजार खरीदते हैं तो, सब्सिडी का वितरण शीघ्र किया जाएगा. इसलिए, संभावना है कि कम से कम 250 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा.

केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू करते समय निधि वितरण और आवंटन प्रबंधन पर ध्यान देने के लिए केंद्र ने लिखित निर्देश दिए हैं. इसलिए योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कृषि आयुक्त को समन्वय अधिकारी नियुक्त किया गया है.

कृषि विभाग के प्रमुख सचिव एकनाथ डावले, तत्कालीन आयुक्त धीरज कुमार और निविष्टियां एवं गुणवत्ता नियंत्रण निदेशक दिलीप जेंडे लगातार मामले की जांच कर रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप, मशीनीकरण के लिए अनुदान के वितरण में तेजी जारी है, कृषि के एक संयुक्त निदेशक ने सूचित किया.

कृषी विभाग की ओर से दावा किया जा रहा है. कि फंड के वितरण के लिए ‘पीएफएमएस’ (पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) लागू होने के कारण केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिए फंड अब जिला स्तर पर नहीं रह गया है. पहले अधिकांश जिलों में राशि रोकने, समय पर खर्च नहीं करने, हिसाब-किताब नहीं देने की नीति थी.

नई व्यवस्था में अब एसएनए (सिंगल कोऑर्डिनेटिंग सिस्टम) की स्थापना की गई है. इसलिए, फंड को होल्ड करने की समस्या का समाधान किया गया है.

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