धवलक्रांति का बीज विदर्भ-मराठवाड़ा में जड़ें जमाएगा !
किसानों के लिये दुग्ध उत्पादन मे जाके करोडो कमाने का मौका ?
Milk Production Project : विदर्भ-मराठवाड़ा में दुग्ध उत्पादन ( Milk Production ) देने की महत्वाकांक्षी परियोजना लागू होने जा रही है. उसके लिए राज्य सरकार ने 160 करोड़ और केंद्र सरकार ने 231 करोड़, लगभग 400 करोड़ आवंटित किए हैं और उसके लिए नागपुर में परियोजना निदेशक का पद सृजित होने जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर मदर डेयरी के माध्यम से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के माध्यम से विदर्भ, मराठवाड़ा के लिए एक विशेष दुग्ध विकास परियोजना लागू की जा रही है. पिछले कुछ वर्षों में इस परियोजना के माध्यम से इन दोनों विभागों का दूध संग्रह तीन लाख लीटर तक पहुंच गया है.
इस अवसर पर पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, महाराष्ट्र के पशुपालन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, केंद्रीय पशुपालन विभाग के सचिव, एनडीडीबी के अध्यक्ष, विदर्भ, मराठवाड़ा डेयरी परियोजना के उप निदेशक डॉ. सतीश राजू मौजूद थे.
बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार प्रथम चरण में विशेष महिला कृषक कंपनी की स्थापना की जाएगी. यह देश की 13 वीं ऐसी कंपनी होगी.
यह कंपनी दूध कलेक्शन का काम करेगी. इसमें किमत तय करना, मुनाफे में से लाभांश देनाशामिल होगा. इस महिला किसान कंपनी से सहकारी क्षेत्र के मॉडल अमूल की तर्ज पर काम करने की उम्मीद है.
हालांकि स्थानीय मवेशियों की संख्या अधिक है, दूध की उपज कम है. उन्हें अच्छा चारा उपलब्ध कराने के उपाय और अन्य उपाय हैं. यद्यपि यह एक तात्कालिक उपचार है, आनुवंशिक संशोधन परियोजनाएँ भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होंगी. इस पर भी काम किया जाएगा। परियोजना के माध्यम से गाय-भैंस का वितरण अनुदान के आधार पर किया जायेगा.
उसके लिए एक गाय की कीमत एक लाख रुपए तय की गई है और 50 फीसदी यानी 50 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाएगी. विदर्भ, मराठवाड़ा के लिए इस विशेष परियोजना में गढ़चिरौली जिला पहले शामिल नहीं था. लेकिन मानव विकास सूचकांक में पिछड़ रहे इस जिले को शामिल करने का निर्णय लिया गया है.\
क्या हुए फैसले ?
- – दूध की खरीद और अन्य मामलों के लिए महिला किसान कंपनी की स्थापना.
- – परियोजना में भाग लेने वाले किसानों की संख्या को 30 से बढ़ाकर 50 हजार करना.
- – कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देना.
- – मोबाइल पशु चिकित्सा केंद्र.
- – फॅट बढ़ाने के उपाय.
- – पांच साइलेज इकाइयों की स्थापना.
- – विदर्भ, मराठवाड़ा के कामकाज के लिए नागपुर में परियोजना निदेशक के पद का सृजन.
- -दुग्ध संग्रहण केंद्र पर ही किसानों को चारे की उपलब्धता.
- – चारा एकत्र करने वाले किसान के दूध के पैसे से यह खर्च काटा जाएगा.
- – 1 लाख 65 हजार पशुओं का इलाज.