Ginger Market Rate : अदरक की फसल को मिल रहे है रेकॉर्ड तोड दाम !
63 से 65 हजार रुपए प्रति गाडी रहेंगे अद्रक के भाव !
दस साल मे पहली बार अद्रक को मिल रहा है इतना दाम !
Ginger Market Update पिछले पांच छह साल से मेटाकुटी में आने वाले अदरक उत्पादक किसानों को अद्रक रेट (Ginger Rate) में सुधार होने से राहत मिल रही है. उत्पादन में गिरावट और बाजार में मांग बढ़ने से इस साल पिछले दस सालों की तुलना में सबसे ज्यादा कीमत मिल रही है.
अदरक की फसल की कीमत माल की गुणवत्ता के आधार पर 63,000 रुपये से 65,000 रुपये प्रति गाड़ी (500 किलोग्राम) है. किसान कह रहे हैं कि यह रेट रिकॉर्ड तोड है.
पिछले चार साल से अदरक की फसल के दाम लगातार गिर रहे थे. नतीजतन, अदरक उत्पादकों को लगातार पांच से छह वर्षों तक भारी वित्तीय झटका लगा. कीमत में गिरावट के दौर में किसान अच्छे लाभ की उम्मीद में अदरक की फसल पर लाखों रुपए खर्च कर रहे थे. लेकिन बाजार में सही दाम नहीं मिलने से अदरक की फसल चौपट होती जा रही थी. लेकिन जनवरी माह से अदरक के भाव में सुधार आना शुरू हो गया. जनवरी माह में अदरक की फसल के भाव 15 हजार से 16 हजार रुपये प्रति गाड़ी थे अदरक की फसल के भाव इसके बाद धीरे-धीरे रेट रिवाइज किया गया.
अदरक की खेती के लिए अदरक के बीजों की कटाई जारी रहने से अदरक (धूनी) के दाम और बढ़ गए हैं. इस दौरान बीज की कीमत 35 हजार से 36 हजार रुपये प्रति गाड़ी थी.
इस समय धूनी अदरक के भाव 28 से 29 हजार तक पहुंच गए थे. 21 से 31 मार्च की अवधि में अदरक की खरीद पर ध्यान नहीं देने के कारण फसल की कीमत में कमी आई है.
अदरक की कीमत बेहद लचीला है. भविष्य में कीमतों में गिरावट आने के माहौल के कारण कई किसानों ने अदरक बेचने को प्राथमिकता दी थी. लेकिन अप्रैल की शुरुआत से रेट में फिर से सुधार होने लगा है.
वर्तमान में अदरक की फसल को रिकॉर्ड 63 से 65 हजार रुपये प्रति हेक्टर का भाव मिल रहा है. पिछले महीने की तुलना में इस महीने प्रति कार कीमत लगभग दोगुनी हो गई है.
इस बीच, जब किसी फसल के ऊंचे दाम मिलते हैं तो कुछ अनाधिकृत व्यापारियों द्वारा किसानों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी के मामले बढ़ जाते हैं. फिलहाल कार की कीमत 65,000 रुपये है. प्रति एकड़ औसतन 15 से 20 ठेले भी लें तो लेन-देन राशि 10 से 12 लाख के आसपास होती है. नतीजतन, अदरक खरीदने और बेचने के लेन-देन में भारी वित्तीय कारोबार होता है.
इसलिए, अदरक के किसानों को अपना अदरक विश्वसनीय व्यापारियों को बेचना चाहिए, जिनका बाजार में दिन-प्रतिदिन अच्छा व्यवहार हो और जो बाजार समिति और विपणन निदेशालय के पंजीकृत व्यापारी हों. ताकि संभावित धोखाधड़ी से बचा जा सकेझ.
इस समय विदेशों में उच्च गुणवत्ता वाले अदरक की मांग बढ़ गई है. पिछले साल भारत के मसाला निर्यात में अदरक का दबदबा था। अदरक से बनी सूंठ भी बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है.
देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों के बाजारों में इसकी काफी मांग है. इसलिए व्यापारियों का कहना है कि आने वाले समय में भी अदरक की खेती और भी फायदेमंद होगी.
2012 के बाद पहली बार इस साल अदरक की फसल का रेट 60 हजार के आंकड़े को पार कर गया है. 2012 के बाद कुछ समय के लिए दरें स्थिर रहीं. हालांकि कोरोना संक्रमण के बाद से कीमतों में भारी गिरावट आई है. इस दौरान सबसे कम रेट 4 से 5 हजार रुपये रहा.
इससे कई किसानों ने यह फसल रोक दी. लेकिन इस साल जनवरी से रेट में सुधार हुआ है. करीब दस साल बाद इसने 60 हजार रुपये का रिकॉर्ड तोड़ा है. वर्तमान में किसान कह रहे हैं कि उन्हें प्रति गाड़ी 63 से 65 हजार रुपये मिल रहे हैं.
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